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जीएसटी की जटिलताओं का संकलन-आयकर सर्वे व आयकर रेड पर परिचर्चा आयोजित

ग्वालियर 22 अगस्त,23। जीएसटी की जटिलताओं का संकलन-आयकर सर्वे व आयकर रेड पर आज दोपहर 03.30 बजे ‘चेम्बर भवन` में परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में जीएसटी विशेषज्ञ के रूप में  सीए-दीपक वाजपेयी एवं आयकर विशेषज्ञ के रूप में सीए-अशोक विजयवर्गीय जी उपस्थित थे। 
बैठक के प्रारंभ में अध्यक्ष-डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि जीएसटी 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था और उसमें अब तक 1000 हजार संशोधन हो चुके हैं। फिर भी जीएसटी की जटिलताएं बनी हुई हैं। हमारे द्बारा चेम्बर पड़ाव व चेम्बर संवाद के माध्यम से औद्योगिक एवं व्यवसायिक समस्याओं का संकलन किया जा रहा है और उनको संबंधित विभागों तक पहुंचाकर समस्याओं का समाधान कराने का प्रयास किया जा रहा है। हर मीटिंग में जीएसटी की जटिलताओं की बात आ रही थी, इसलिए एक मांग पत्र, जटिलता के हल के साथ बनाने के लिए यह बैठक आयोजित की है। इसी प्रकार आयकर सर्वे व रेड के संबंध में हमारे क्या अधिकार हैं, इस जानकारी से भी हम इस परिचर्चा में अवगत होंगे।
बैठक का संचालन कर रहे मानसेवी सचिव-दीपक अग्रवाल ने कहा कि कार्यकारिणी समिति की बैठकों व चेम्बर संवाद के दौरान जीएसटी संबंधी परेशानियों की बात आ रही थी। इसलिए इस महत्वपूर्ण विषयों पर यह परिचर्चा आयोजित की गई है, आशा है कि हम सभी इससे लाभांवित होंगे।
अध्यक्ष महोदय ने बैठक में उपस्थित महानुभावों से जीएसटी संबंधी अपनी जिज्ञासाओं को रखने का आग्रह किया।

श्री सुनील कुमार आनंद ने कहा कि जीएसटी आने से पूर्व हम लगभग 38% कर शासन को चुकाते थे, जीएसटी आने पर यह कर 6% रह गया था जो कि अब बढकर 18% हो गया है। जीएसटी से हमें तो लाभ हुआ लेकिन ग्राहक को कोई फायदा नहीं मिला क्योंकि कंपनियों ने उत्पाद के दाम बढा दिये। 
श्री अनिल गुप्ता ने प्रश्न किया कि मेरा थोक दवाईयों का कारोबार है, यदि कोई ग्राहक दवा खरीदने के बाद कुछ दवा वापिस करने आता है तो बिल में सुधार नहीं हो पाता है। यह कैसे किया जा सकता है।
श्री आशीष अग्रवाल ने कहा कि रिवर्स चार्ज की प्रक्रिया को समाप्त किया जाना चाहिए। वहीं ई-इनवॉइस  के लिए वर्तमान में 5 करोड़ टर्नओवर वाले व्यापारी के लिए है। इसे 2 करोड़ टर्नओवर वाले व्यापारी के लिए करने का प्रस्ताव है जो नहीं होना चाहिए क्योंकि छोटे व्यापारी को काफी परेशानी आयेगी। वह ई-इनवॉइस जनरेट नहीं कर पायेंगे। वहीं 40 लाख तक जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य नहीं है लेकिन भ्रांति यह होती है कि फलां व्यापारी  व्यवसाय को नियमानुसार नहीं कर रहा है। इसलिए विभाग को यह प्रचार-प्रसार करना चाहिए कि 40 लाख से नीचे  टर्नओवर वाले व्यवसायी जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं।
श्री अंकुर अग्रवाल ने कहा कि सर्वर में खराबी के कारण कभी कभी ई-इनवॉइस नहीं बना पाते हैं लेकिन माल को उसी दिन डिस्पेच करना होता है। ऐसी स्थिति में व्यापारी क्या करे। पर्चेज रिटर्न का जो इनवॉइस बनाने कई लोग गलत बताते हैं। इसमें हमें क्या करना चाहिए।
पूर्व मानसेवी संयुक्त सचिव श्री जगदीश मित्तल ने बताया कि स्टेट जीएसटी विभाग द्बारा पार्टियों को नोटिस जारी किये जाते हैं लेकिन उसमें न तो कोई सर्किल नंबर होता है और न ही कोई आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है। यदि पार्टी नहीं पहुंच पाती तो एक्स पार्टी कर दिया जाता है। फिर इसके बाद दुबारा से अपील करना होती है।
श्री आशीष जैन ने कहा कि विक्रेता द्बारा जीएसटी राशि को समय पर जमा नहीं कराया है तो क्रेता पर कार्रवाई कैसे हो सकती है। वहीं प्रदेश के बाहर माल बेचने पर अब आईजीएसटी लगाने की बात आ रही है।
श्री विवेक बंसल ने कहा कि जब हम रिटर्न भरते हैं तो जिस पार्टी से माल हमने लिया है और वह समय पर जीएसटी नहीं भरती हैं या अदा ही नहीं करती हैं तो हमें उसका आईटीएसी नहीं मिल पाता है और हमें डबल टैक्स अदा करना पड़ता है। पहले तो बिल होने पर रिबेट मिल जाती थी परंतु अब पोर्टल पर जब तक शो नहीं होगा तब तक रिबेट नहीं मिल सकती है। 
कुछ आयटम जीएसटी टैक्स फ्री हैं लेकिन भाड़ा जीएसटी के तहत आ जाता है। वहीं यदि हमारा दो तरह का कारोबार है एक टैक्स फ्री व एक टैक्स सहित। तो हमने कोई पर्चेज तो आईटीसी क्लेम किया तो वहां यह प्रोपेशनल देखा जाता है कि आपने टैक्स फ्री सेल कितनी की है तो टैक्स सहित कितनी की है। उसके अनुसार आईटीसी दिया जाता है, यह नहीं होना चाहिए।
श्री रवि कुमार गर्ग ने कहा कि जीएसटी में एक हेल्पलाइन नंबर ऐसा होना चाहिए कि यदि जो क्वेरी व्यवसायी द्बारा पूछी जाये, उसका तुरंत समाधान होना चाहिए।
श्री महेन्द्र साहू ने पूछा कि 40 लाख तक टर्नओवर वालों के यहां भी क्या जीएसटी के सर्वे के लिए टीम जा सकती है।
मानसेवी सचिव ने श्री राजेन्द्र जैन के व्हाट्सएप पर आये सवाल किया कि विक्रेता यदि जीएसटी रिटर्न नहीं भरता है या देरी से भरता है तो पेनाल्टी क्रेता से क्यों ली जाती है। 2. यदि दुकानदार चैक लेकर सामान विक्रय करता है और चैक बाउंस हो जाता है तो क्या जीएसटी वापिस होगी क्योंकि उसका पेमेंट खटाई में पड़ गया है।
श्री अमित ने जीएसटी में सेल रिटर्न व पर्चेज रिटर्न की क्या प्रोसेस है ?
नवीन अग्रवाल ने पूछा कि हमारा फिटिंग के सामान का कारोबार है। ग्राहक के माल ले जाने के बाद हमने तो जीएसटी पे कर दी लेकिन जब सामान कई बार साल भर बाद तक वापिस आता है तो ग्राहक जीएसटी कटवाने के लिए तैयार नहीं होता है। ऐसी स्थिति में क्या किया जाये।
टैक्स कंसल्टेंट्स श्री आदित्य गंगवाल ने कहा कि पोस्ट सेल डिस्काउंट जो बाद में दिये जाते हैं। विभाग का सर्कुलर भी है कि इसमें टैक्स की लायबेलिटी नहीं है फिर भी व्यापारी के ऊपर टैक्स की लायबिलिटी निकाली जा रही है। स्थानीय जीएसटी डिपार्टमेंट ऑडिट विंग द्बारा इसे स्वीकार नहीं किया जा रहा है।
ई-वे बिल में छोटी सी गलती होने पर आगरा पर माल को अधिकारियों द्बारा अपना टारगेट पूरा करने क लिए पकड़ लिया जाता है जबकि अपील में वह माल छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार के हैरेसमेंट पर कार्यवाही होना चाहिए।

जीएसटी विशेषज्ञ सीए दीपक वाजपेयी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीएसटी को आये हुए 6 साल हो गये हैं लेकिन परेशानियों का दौर खत्म नहीं हो रहा है। हर दिन कोई न कोई नियम आ जाता है जिससे परेशानी बढ जाती है। जो समस्याएं आज बताई गयी हैं वह पहले भी आ चुकी हैं लेकिन विभाग ने यह माइंडसेट बना लिया है कि हम इस प्रकार ही कार्य करेंगे। आपने कहा कि जीएसटी की सारी प्रक्रिया ऑनलाईन है, यदि आपने टैक्स चुका दिया है और सामने वाले ने जमा नहीं किया है तो वह 2बी में नहीं दिखेगा। अब यह बात ऑनलाईन सिस्टम द्बारा अधिकारियों के संज्ञान में आती है कि ऐसा क्यों है तब अधिकारी आपसे पूछते हैं। यह सारी जानकारी आपके पोर्टल पर ही आती है इसलिए अपने पोर्टल/ईमेल को 3-4 दिन में लगातार चैक करते रहें और यदि किसी ने टैक्स जमा नहीं किया है तो आप उसे सेटल करा लें। यह आपको ही करना होगा। हाँ सरकार ने 31 दिसम्बर 2021 से पहले के मिसमैच के लिए राहत दी है। यदि इससे पूर्व का है तो आप उसे सेटल करा सकते हैं। 5 लाख तक है तो आप बिल दिखाकर करा सकते हैं इससे ज्यादा का है तो सीए का सर्टिफिकेट लेकर जायेंगे तो आपको आईटीसी मिल सकता है। आपने बताया कि माल बेचने पर टैक्स इनवॉइस बनाना है। क्रेता की ओर से कोई नोट नहीं डाला जायेगा माल वापिसी पर सप्लायर ही इसका करेक्शन कर सकता है। माल का विक्रय करने पर पार्टी से पैसा मिले या न मिले आपको टैक्स देना होगा। 180 दिन के अंदर पेमेंट नहीं आने पर आपको विभाग को अवगत कराना होगा। ई-इनवॉयस की लिमिट 5 करोड़ से नीचे नहीं की जाना चाहिए। पोस्ट सेल डिस्काउंट पर हमें विभाग को लिखना चाहिए।

आयकर सर्वे व आयकर रेड पर सीए अशोक विजयवर्गीय ने बताया कि यदि हम अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से कर रहे हैं तो हमें अपने अधिकार स्वयं ही मिल जाते हैं। आपने कहा कि सर्वे व सर्च को पूर्ण रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। सर्वे सीमित है ओर सर्च असीमित। दोनों का उद्देश्‍य एक ही है कि करदाता ने विभाग को सही टैक्स दिया है या नहीं। आपने कहा कि यदि करदाता अपनी आय को उचित दर्शाता है तो सर्वे व सर्च की आवश्‍यकता नहीं पड़ती है। विभाग आपके एकांट्स देखने के बाद ही यह कार्यवाही करते हैं। आपने बताया कि सर्वे की कार्यवाही आपके प्रतिष्ठान में होती है जो कि आपके कार्यालयीन समय व दिवस पर ही की जा सकती है। यदि आप अपना कुछ कार्य घर पर भी करते हैं तो फिर सर्वे सर्च में बदल सकता है। आप यदि अपने घर के किसी भाग में व्यवसायिक गतिविधि करते हैं तो उस पर नेम प्लेट जरूर लगायें। सर्वे व सर्च के दौरान आपके अधिकार हैं कि आप विभाग जो दस्तावेज ले जा रहे हैं उनकी प्रतिलिपि आप उनसे ले सकते हैं। यदि आप चाहें तो अपने कर सलाहकार को इस दौरान आमंत्रित कर सकते हैं। सर्वे व सर्च के दौरान जो आय व संपत्ति आपके यहां मिली है उसका सोर्स आप बता देते हैं तो इस पर 30 प्रतिशत टैक्स आरोपित किया जाता है और यदि आप नहीं बता पाते हैं तो फिर 78% टैक्स व पेनाल्टी देना होती है। आपने बताया कि कार्यवाही के दौरान आपके यहां सोना पाया  जाता है तो 500 ग्राम सोना विवाहित महिला के लिए, 250 ग्राम अविवाहित महिला एवं 100 ग्राम पुरूष के लिए रखे जाने का मापदंड है यदि इससे अधिक पाया जाता है तो यदि आपने वर्ष 2016-17 तक वेल्थ रिटर्न में सोना दर्शाया है तो उस पर कोई टैक्स नहीं देय होगा।
रिचर्चा के अंत में आभार प्रदर्शन मानसेवी संयुक्त सचिव-पवन कुमार अग्रवाल द्बारा व्यक्त किया गया। परिचर्चा में पूर्व कोषाध्यक्ष-श्री सुरेश बंसल सहित सीए गजेन्द्र जैन, विमल अग्रवाल, राजेन्द्र खटवानी, अमित अग्रवाल, मयूर गर्ग, शकुंत सोमानी, निशा गंगवाल, कर सलाहकार-पंकज गोयल सहित कार्यकारिणी समिति सदस्यगण व सदस्यगण उपस्थित रहे।

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